स्टॉक मार्केट में कंपनियां अपनी जरूरत के हिसाब से कई तरह के corporate action लेती हैं। आज हम उनमें से ही एक stock split के बारे में डिटेल में जानेंगे। हम जानेंगे कि की Stock Split क्या होता है, यह कैसे काम करता है और कंपनियां Stock Split आखिर क्यों करती हैं।
नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट amazingyan.in पर। आइए जानते हैं कि स्टॉक स्प्लिट क्या होता है.
Stock Split क्या है?
दोस्तों स्टॉक स्प्लिट एक कॉरपोरेट एक्शन है जिसमें कंपनी अपने करंट शेयर को एक रेशियो में डिवाइड करती है। जिसकी वजह से मार्केट में कंपनी की टोटल नंबर ऑफ शेयर्स बढ़ जाते हैं और कंपनी की शेयर प्राइज और फेस वैल्यू उसी रेशियो में कम हो जाती है जिस रेशियो में कंपनी के शेयर्स बढ़ते हैं।
Stock Split कैसे काम करता है?
एग्जाम्पल के लिए मान लेते हैं कि हमारे पास एबी लिमिटेड के 20 शेयर है। जिसकी शेयर प्राइज अभी 1000 रुपए है और फेस वैल्यू 10 रुपए है। इस तरह एबी लिमिटेड में हमारे इनवेस्टमेंट की वैल्यू अभी 20×1000=20000 है।

अब अगर एबी लिमिटेड 2:1 के रेशियो में स्टॉक्स स्प्लिट्स करने का डिसीजन लेती है तो इसका मतलब है कि ये Stock Split करने के बाद एबी लिमिटेड का हरेक शेयर दो शेयर्स में बदल जाएगा। वही शेयर प्राइज और फेस वैल्यू हाफ हो जाएगी।
इस तरह स्टॉक लिमिट करने के बाद हमारे पास एबी लिमिटेड के 20 की जगह 40 शेयर्स हो जाएंगे और हर एक शेयर की प्राइज 1000 की जगह 1000 का आधा यानी 500 रुपए हो जाएगी। पर हर शेयर की फेस वैल्यू 10 की जगह 10 का हाफ यानी 5 रुपए हो जाएगी।
दोस्तो वहीं अगर एबी लिमिटेड 5:1 के रेशियो में Stock Split करने का डिसीजन लेती है तो इसका मतलब है कि स्टॉक स्प्लिट करने के बाद एबी लिमिटेड का हरेक शेयर 5 शेयर्स में बदल जाएगा। वही शेयर प्राइस और फिर वैल्यू 1/5 हो जाएगी। इस तरह स्टॉक्स स्प्लिट्स करने के बाद हमारे पास ये भी लिमिटेड के 20 की जगह 100 शेयर्स हो जाएंगे और हर एक शेयर की प्राइज 1000 की जगह 1000 का वन बाय फाइव यानी 200 रुपये हो जाएगी और हर शेयर की फेस वैल्यू 10 की जगह 10 का वन बाय फाइव यानी 2 रुपये हो जाएगी।

लेकिन दोस्तो कभी भी स्टॉक स्प्लिट करने से हमारे टोटल इनवेस्टमेंट वैल्यू में कोई चेंज नहीं होता है। हमने अभी अपने एग्जाम्पल में देखा कि Stock Split करने से पहले एबी लिमिटेड हमारे इनवेस्टमेंट की वैल्यू 20 हजार रुपये थी। चूंकि हमारे पास एबी लिमिटेड के 20 शेयर थे और एक शेयर की प्राइस 1000 रुपये थी। पर 2:1 के रेशियो में stock split के बाद हमारे पास एबी लिमिटेड के 40 शेयर्स हो गए और एक शेयर की प्राइस 500 रुपये हो गई। इस तरह हमारे इनवेस्टमेंट की वैल्यू
40×500 =20000 ही रही।
ठीक इसी तरह 5:1 के रेशियो में Stock Split करने के बाद हमारे पास एबी लिमिटेड के 100 शेयर्स हो गए। और एक शेयर की प्राइज 200 रुपये हो गई और यहां भी हमारी इन्वेस्टमेंट की वैल्यू
100× 200 =20000 ही रही।
इस तरह दोस्तों Stock Split से हमारे इनवेस्टमेंट की वैल्यू पर कोई फर्क नहीं पड़ता। पर जिस रेशियो में स्टोक स्प्लिट्स होती है उसी रेशियो में हमारे शेयर्स बढ़ जाते हैं और हमारे शेयर की प्राइज और फेस वैल्यू उसी रेशियो में कम हो जाती है।
कंपनियां Stock Split क्यों करती है?
आइए जानते हैं कि कंपनी आखिर Stock Split क्यों करती है। दोस्तो एक कंपनी स्टोक स्प्लिट्स इसलिए करती है जब उसे लगता है कि उसके शेयर की प्राइज बहुत बढ़ गई है। या अपनी तरह की कंपनियों के शेयर प्राइस से बहुत ज्यादा हो गई है तो ऐसे में कंपनियां स्टोक स्प्लिट्स के जरिए अपने शेयर प्राइस को कम करके अपनी तरह की कंपनी के शेयर प्राइस के आसपास लाती हैं।
एग्जाम्पल के लिए अगर सभी शुगर कंपनी के शेयर प्राइस 100 रुपये से लेकर 300 रुपये की रेंज में हों और एक शुगर कंपनी की शेयर प्राइज दो हजार रुपये हो जाए तो आम इनवेस्टर इस शेयर में निवेश नहीं करना चाहेगा। इस वजह से यह कंपनी स्टोक स्प्लिट्स से अपने शेयर की प्राइस को 2000 रुपये से 300 रुपये के रेंज में ला सकती है। जहां पर आम इनवेस्टर के बीच फिर से शेयर इस शेयर के लिए इंटरेस्ट बढ़ जाए।
दोस्तो Stock Split होने के बाद जब एक कंपनी के शेयर प्राइस कम हो जाती है तो इस वजह से छोटे इनवेस्टर्स को लगता है कि कंपनी का शेयर अब पहले से बहुत सस्ता हो गया है और फिर वह उस कंपनी के शेयर को बाय करने लगते हैं। जिससे शेयर की डिमाण्ड बढ़ जाती है और फिर अचानक ही डिमाण्ड आने से शेयर की प्राइस भी बढ़ने लगती है।
दोस्तो एक कंपनी स्टोक स्प्लिट्स इसलिए भी करती है क्योंकि Stock Split करने से इन्वेस्टर्स के बीच एक पॉजिटिव सिग्नल जाता है कि उस कंपनी की शेयर प्राइज काफी बढ़ रही है और ऐसे में जब स्टोक स्प्लिट्स करने के बाद उस कंपनी की शेयर प्राइज बहुत कम हो जाती है तो बहुत सारे इनवेस्टर्स उस कंपनी के शेयर को इस उम्मीद में बाय करते हैं कि कंपनी के शेयर प्राइस का बढ़ना पहले की तरह जारी रहेगा और इससे उन्हें प्रॉफिट होगा।
Reverse Stock Split क्या है?
दोस्तो कभी कभी कंपनियां रिवर्स स्टोक स्प्लिट्स भी करती हैं। यानी अपने नंबर ऑफ शेयर्स को मार्केट में कम करती हैं और अपने शेयर प्राइस को बढ़ाती है। रिवर्स स्टोक स्प्लिट्स करने की वजह से Stock Split करने की वजह से ठीक उलटा होता है। यानी जब एक कंपनी को लगता है कि उनकी शेयर प्राइज बहुत कम हो गई है या अपनी तरह की कंपनियों के शेयर प्राइस से बहुत कम हो गई हो तो ऐसे में कंपनियां रिवर्स स्टोक स्प्लिट्स से मार्केट में अपने शेयर को कम करती हैं और शेयर प्राइस को रिवर्स स्टोक स्प्लिट्स के रेशियो में बढ़ाती हैं।
पर यहां भी हमारे इनवेस्टमेंट की वैल्यू पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। आइए हम रिवर्स स्टोक स्प्लिट्स को एक एग्जाम्पल से समझते हैं। मान लेते हैं कि हमारे पास एबी लिमिटेड के 100 शेयर है। जिसकी शेयर प्राइस अभी 10 रुपये है और फेस वैल्यू 2 रुपये है। इस तरह एबी लिमिटेड में हमारी इन्वेस्टमेंट की वैल्यू अभी 110×10 यानी 1000 रुपये है।
अब अगर एबी लिमिटेड 1:5 के रेशियो में रिवर्स स्टोक स्प्लिट्स करने का डिसीजन लेती है तो इसका मतलब है कि स्टोक स्प्लिट्स करने के बाद एबी लिमिट का हर 5 शेयर एक शेर में बदल जाएगा। वही शेयर प्राइज और फेस वैल्यू पांच गुनी हो जाएगी।

इस तरह रिवर्स स्टोक स्प्लिट्स करने के बाद हमारे पास यूबी लिमिटेड के 100 की जगह 20 शेयर्स हो जाएंगे और हरेक शेयर की प्राइज 10 रुपये की जगह 50 रुपये हो जाएगी। और हर शेयर की फेस वैल्यू 2 की जगह 10 रुपये हो जाएगी। पर रिवर्स स्टोक स्प्लिट्स करने के बाद हमारे इनवेस्टमेंट की वैल्यू नहीं बदलेगी क्योंकि अब हमारे पास 20 शेयर्स है जिसकी शेयर प्राइज 50 रुपए है और इस तरह हमारी इन्वेस्टमेंट की वैल्यू 20×50 यानी 1000 रुपए ही है।
निष्कर्ष
तो दोस्तो ये था हमारा आजका विडियो स्टोक स्प्लिट्स के ऊपर। हमने इस पोस्ट में जाना कि स्टोक स्प्लिट्स क्या होता है। यह कैसे काम करता है। और कंपनिया स्टोक स्प्लिट्स आखिर क्यों करती हैं। अगर आपको ये पोस्ट पसंद आया हो तो जरूर शेयर कीजिए। अगर आप इस मुद्दे से रिलेटेड कोई भी सवाल करना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।